meri kavitaon ki kitaab se kuchh panne........aaj ke baare mein!!.//mg
ये ज़माना उसी का है.........
ये ज़माना उसी का है........
जो अपनी सफ़लता के लिए दूसरों के इरादों को मसलना जानता है
जो अपनी जीत का स्तम्भ दूसरों की आशाओं की कब्र पर बनाना जानता है
जो अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को बलि का बकरा बनाना जानता है
जो दूसरों की मजबूरी का फ़ायदा बख़ूबी उठाना जानता है
जो दूसरों की शराफ़त का नाजायज़ फ़ायदा उठाना जानता है
जो दूसरों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना जानता है।
ये ज़माना उसी का है.......
जो सिर्फ़ अपने लिए जीना जानता है
जो सिर्फ़ अपने लिए मरना जानता है
जो सिर्फ़ अपने लिए देना जानता है
जो सिर्फ़ अपने लिए लेना जानता है
जो सिर्फ़ अपने लिए करना जानता है
जो सिर्फ़ अपने लिए करवाना जानता है
ये बेदर्द, बेरहम ज़माना उसी का है
...........सिर्फ़ उसी का।
मनीषा गुप्ता
मनीषा जी,
ReplyDeleteयह ज़माना हमारा और आपका भी है,
यह ज़माना इसी से है की हम हैं,
और हमारे जैसे और भी बहुत हैं,
बर्ना यह ज़माना कभी नहीं होता।
न यह ज़मीं होती, न आसमान होता,
अच्छा अभी तो चलता हूँ,
जल्द ही आ के मिलूगा,
इसी इच्छा से विदा लेता हूँ।
आपका ही,
सतीश अग्रवाल
Dear sir i have written around 500 gazals please tell me what should i do
ReplyDeleteऐसा सुना करते थे,ये जमाना बदलेगा .
सोचा इसी बहाने,कुछ तो पुराना बदलेगा l
अपनों से मिलना जुलना,तो होता रहेगा.
कुछ सड़के बदलेंगी कुछ ठिकाना बदलेगा l
एक अरसे पहले उसको बदलते देखा था .
क्या पता था वो भी अब रोजाना बदलेगा l
इश्क़ दोस्ती रिश्ते समझ में ना आएंगे .
इनको समझने का पैमाना बदलेगा l
ऐसा सुना करते थे ये जमाना बदलेगा .
सोचा इसी बहाने कुछ पुराना बदलेगा l
"वीर चौहान "